RSS क्या है: इतिहास, स्थापना व संस्थापक की पूरी कहानी 🕉️
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना का 100वां साल 2025 में पूरा हो रहा है। यह लेख RSS के इतिहास, इसके उद्देश्य और कार्यप्रणाली की पूरी जानकारी देता है।
RSS एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है, जिसे राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पैतृक संगठन माना जाता है। यह हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देता है और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को प्रचारित करता है।
RSS की स्थापना और संस्थापक 🌟
RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। उस समय हेडगेवार की उम्र 36 साल थी, और उन्होंने केवल 5 लोगों के साथ इस संगठन की नींव रखी।
डॉक्टर हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता बलिरामपंत हेडगेवार वैदिक कर्मकांड करते थे, और माता का नाम रेवतीबाई था। बचपन से ही वे देशभक्ति से ओतप्रोत थे। स्कूली दिनों में राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाने के कारण उन्हें स्कूल से निकाला गया था।
RSS के नामकरण की दिलचस्प कहानी 📜
RSS की स्थापना के समय इसका कोई नाम नहीं था। सात महीने बाद, 17 अप्रैल 1926 को डॉक्टर हेडगेवार ने अपने घर पर 26 स्वयंसेवकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में तीन नाम सुझाए गए: ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’, ‘जरी पटका मंडल’, और ‘भारतोद्धार मंडल’। वोटिंग में 20 वोट के साथ ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम चुना गया।
RSS का संगठनात्मक ढांचा और कार्यप्रणाली 🏋️
RSS की सबसे छोटी इकाई ‘शाखा’ है, जहां स्वयंसेवक रोज एक घंटे के लिए एकत्रित होते हैं। शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत और प्रार्थना होती है। पूरे भारत में अनुमानित 55,000 से अधिक शाखाएं चलती हैं।
संघ के प्रमुख को ‘सरसंघचालक’ कहा जाता है। वर्तमान में डॉक्टर मोहन भागवत छठे सरसंघचालक हैं। RSS का मुख्यालय नागपुर में स्थित है।
RSS के उद्देश्य और विचारधारा 🇮🇳
RSS का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का संगठन करके राष्ट्र की शक्ति बढ़ाना है। इसका लक्ष्य व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण है। यह हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देता है और भारतीय संस्कृति व नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के लिए कार्य करता है।
वास्तविक जीवन का उदाहरण: आपातकाल में RSS का संघर्ष 🛡️
1975 के आपातकाल के दौरान RSS के संघर्ष की कहानी इसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 25 जून 1975 को जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो 4 जुलाई 1975 को RSS पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
RSS के तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहब देवरस को 30 जून को नागपुर स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। स्वयंसेवकों ने भूमिगत रहकर लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष जारी रखा। लोक संघर्ष समिति के माध्यम से एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह किया।
आपातकाल के दौरान कुल 1 लाख 30 हजार सत्याग्रहियों में से 1 लाख से अधिक RSS के थे। मीसा के तहत गिरफ्तार 30 हजार लोगों में 25 हजार से अधिक RSS के स्वयंसेवक थे। इस संघर्ष में RSS के 100 कार्यकर्ता शहीद हुए, जिनमें अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख पांडुरंग क्षीरसागर भी शामिल थे।
RSS का वर्तमान स्वरूप 🌍
आज RSS विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। इसने विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे संगठनों को प्रेरित किया है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और आपदा राहत जैसी सामाजिक सेवा गतिविधियों में सक्रिय है।
RSS अपने 100 साल पूरे होने पर शताब्दी वर्ष मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी किया है। आज RSS का राजनीतिक प्रभाव काफी बढ़ गया है, क्योंकि BJP को इसकी राजनीतिक शाखा माना जाता है।
पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) ❓
RSS का पूरा नाम क्या है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसकी स्थापना 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी।
RSS के संस्थापक कौन थे और उनका इतिहास क्या है?
डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार RSS के संस्थापक थे। उनका जन्म 1889 में नागपुर में हुआ था। वे पहले कांग्रेस के सदस्य थे और बाद में हिंदू संगठनवादी बने।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास कैसा रहा है?
RSS का 100 साल पुराना इतिहास है। इसने स्वतंत्रता संग्राम, आपातकाल विरोध, और सामाजिक सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
RSS की शाखा कैसे काम करती है?
RSS की शाखा में रोज एक घंटे स्वयंसेवक मिलते हैं, जहां व्यायाम, खेल, गीत, प्रार्थना, और देशभक्ति की शिक्षा दी जाती है।
RSS के वर्तमान सरसंघचालक कौन हैं?
वर्तमान में डॉक्टर मोहन भागवत RSS के छठे सरसंघचालक हैं, जो संगठन के सर्वोच्च पदाधिकारी हैं।

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