यूके में शरिया कानून: मिथक, तथ्य, और Trump का दावा 🌍
यूके में शरिया कानून से आशय उन इस्लामी सिद्धांतों से है जो मुस्लिम समुदायों में लागू होते हैं, खासकर उन शरिया काउंसिलों के जरिए जो व्यक्तिगत और पारिवारिक मामलों में मार्गदर्शन देती हैं। ये काउंसिलें स्वैच्छिक हैं और ब्रिटिश कानून की जगह नहीं लेतीं। हाल के Trump के दावों से फैली गलत जानकारी ने शरिया के रोल को लेकर भ्रांतियाँ बढ़ाईं। आइए सच्चाई जानें, गलतफहमियों को दूर करें और विवाद का विश्लेषण करें। 📰
यूके में शरिया कानून क्या है? ⚖️
शरिया, कुरान और इस्लामी शिक्षाओं पर आधारित है और यह परिवार, वित्त और उपासना जैसे क्षेत्रों में मुसलमानों का मार्गदर्शन करती है। यूके में शरिया काउंसिलें—लगभग 80 से 85, जिनमें कई लंदन में हैं—शादी, तलाक, विरासत और मध्यस्थता पर फैसले देती हैं। इन संस्थाओं के पास कानूनी सत्ता नहीं है; उनके निर्णय सलाहातमक होते हैं और यूके की अदालतें उनसे ऊपर हैं। मुसलमान धार्मिक कारणों से इन काउंसिलों का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन ब्रिटिश कानून ही सर्वोच्च है। आलोचक कुछ निर्णयों में लिंग-निष्पक्षता को लेकर चिंतित हैं और सुधार की मांग करते हैं। 🕊️
एक महत्वपूर्ण मामला: Akhtar v. Khan 📜
2018 का Akhtar v. Khan मामला दिखाता है कि शरिया और यूके कानून कैसे इंटरैक्ट करते हैं। एक पत्नी ने निकाह समारोह के बाद वित्तीय राहत की मांग की, जबकि वह धार्मिक विवाह को सिविल रूप से पंजीकृत नहीं कराई गई थी। हाई कोर्ट ने कुछ अधिकार मानते हुए प्रारम्भिक कदम उठाये, लेकिन कोर्ट ऑफ अपील ने इसे यूके कानून के तहत “नॉन-मैरेज” कहा और नैतिक संरक्षण से इनकार कर दिया। यह मामला दिखाता है कि शरिया-आधारित निर्णयों का कानूनी वजन तब तक नहीं बनता जब तक नागरिक पंजीकरण मौजूद न हो, और यह ब्रिटिश कानून की सर्वोच्चता को बल देता है। 📚
Trump का विवादित दावा 🚨
सितंबर 2025 में, UN जनरल असेंबली में दिए गए भाषण में Trump ने कहा कि लंदन “शरिया कानून की ओर जाना चाहता है,” और उन्होंने मेयर सादिक खान की आलोचना की। यूके के अधिकारियों, जिनमें खान के कार्यालय भी शामिल हैं, ने इन बयानों को “भेदभावपूर्ण” और बेबुनियाद बताया और कहा कि लंदन केवल ब्रिटिश कानून के अंतर्गत काम करता है [cbs, independent]. Muslim Council of Britain ने इस बयान की निंदा कर के इसे भय फैलाने वाला बताया। यह विवाद दिखाता है कि किस तरह गलत जानकारी राजनीति में फैलती है और शरिया काउंसिलों के सीमित रोल को गलत तरीके से पेश किया जाता है। 🗳️
शरिया कानून के बारे में मिथकों का खंडन 🛑
शरिया कानून को लेकर कई गलतफहमियाँ हैं। यहाँ प्रमुख स्पष्टीकरण दिए जा रहे हैं:
- कोई अलग व्यवस्था नहीं: शरिया काउंसिलें “कोर्ट” नहीं हैं और यूके कानून पर उनका वर्चस्व नहीं है। वे व्यक्तिगत मामलों के लिए स्वैच्छिक मध्यस्थता प्रदान करती हैं।
- सीमित दायरा: शरिया पारिवारिक और धार्मिक मुद्दों तक सीमित है, न कि आपराधिक या सार्वजनिक कानून तक; ये सब यूके की न्यायव्यवस्था के अंतर्गत आते हैं।
- निगरानी जारी है: यूके काउंसिलों की निगरानी करता है ताकि वे भेदभाव-रोधी और मानवाधिकार कानूनों का पालन करें।
ये तथ्य उन दावों का खंडन करते हैं, जैसे कि Trump के दावे, जो शरिया के प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। यूके की कानूनी व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि धर्मनिरपेक्ष कानून ही प्रमुख रहे। 🏛️
निष्कर्ष: आस्था और कानून के बीच संतुलन ⚖️
यूके में शरिया कानून मुसलमानों के लिए एक स्वैच्छिक धार्मिक ढाँचा है, ब्रिटिश कानून का प्रतिस्पर्धी नहीं। शरिया काउंसिलें समुदायों में मार्गदर्शन देती हैं, लेकिन यूके की अदालतें अंतिम प्राधिकरण हैं। राजनीतिक बयानबाजी, जैसे कि Trump के दावे, अक्सर इस वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है और विभाजन को बढ़ाती है। शरिया की भूमिका को समझना सार्वजनिक चर्चा में स्पष्टता लाता है और गलत सूचनाओं का मुकाबला करता है। 🌐
यूके में शरिया कानून के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ❓
यूके में शरिया कानून क्या है और यह कैसे काम करता है?
शरिया काउंसिलें धार्मिक मार्गदर्शन देती हैं, जैसे शादी और तलाक के मसले। ये स्वैच्छिक होती हैं और कानूनी अधिकार नहीं रखतीं।
क्या शरिया कानून ब्रिटिश कानून की जगह लेता है?
नहीं। शरिया धार्मिक ढाँचा है और व्यक्तिगत मार्गदर्शन देता है; सभी कानूनी मामलों में ब्रिटिश कानून लागू होता है।
यूके में कितनी शरिया काउंसिलें हैं?
यूके में लगभग 80 से 85 शरिया काउंसिलें हैं, जिनमें से कई लंदन में स्थित हैं और वे पारिवारिक मध्यस्थता पर केंद्रित हैं।
Trump का शरिया कानून के बारे में क्या दावा था?
सितंबर 2025 में Trump ने कहा कि लंदन “शरिया कानून की ओर जाना चाहता है,” जिसे यूके अधिकारियों ने गलत और भेदभावपूर्ण बताया।
क्या शरिया काउंसिल के निर्णय कानूनी रूप से लागू किए जा सकते हैं?
नहीं। शरिया काउंसिलों के निर्णय सलाहातमक होते हैं। यूके की अदालतें उन्हें ब्रिटिश कानून के खिलाफ पातीं तो इनके ऊपर प्रवर्तन कर सकती हैं।