पीएम स्वनिधि योजना एक ऐसी सरकारी पहल है, जो छोटे रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को सशक्त बनाने के लिए बनाई गई है। कोविड-19 महामारी के दौरान जब देश के लाखों स्ट्रीट वेंडर्स की आमदनी पूरी तरह से ठप हो गई थी, तभी इस योजना की शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में सड़क किनारे छोटे व्यापारियों को बिना किसी गारंटी के सुलभ वर्किंग कैपिटल लोन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत पात्र व्यापारियों को पहले चरण में ₹10,000 तक का कार्यशील ऋण मिलता है, जिसे समय पर चुकाने पर अगली किश्त – ₹20,000 और फिर ₹50,000 तक – के लिए भी आवेदन किया जा सकता है।
इस योजना की खासियत यह है कि इसमें कोई भी रेहड़ी-पटरी वाला, जो 24 मार्च 2020 या उससे पहले सड़क पर व्यापार कर रहा था, आवेदन कर सकता है। केंद्र सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इस योजना के अंतर्गत ऋण समय-समय पर किस्तों में लौटाया जा सकता है। ऋण पर 7% तक की ब्याज सब्सिडी भी मिलती है, जिससे वेंडर्स के लिए चुकौती आसान हो जाती है। योजना का एक और बड़ा फायदा यह है कि डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित किया जाता है। यदि कोई लाभार्थी डिजिटल तरीके से लेन-देन करता है, तो उसे अतिरिक्त कैशबैक सुविधा भी मिलती है।
सरकार का लक्ष्य है कि देश के लगभग 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को पीएम स्वनिधि योजना का लाभ प्राप्त हो। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना से जुड़े लाभार्थियों की मासिक आमदनी में औसतन करीब ₹1,955 की वृद्धि देखी गई है, जिससे इनका वार्षिक पारिश्रमिक करीब ₹23,460 तक बढ़ा है। इसके अलावा, इस योजना की वजह से पहली बार लाखों स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से फॉर्मल माइक्रो-फाइनेंस का एक्सेस मिला है, जो उनकी आर्थिक मजबूती और सामाजिक समावेशन के लिए बेहद फायदेमंद है।
एक उदाहरण के तौर पर, वाराणसी में एक फल विक्रेता की आमदनी पीएम स्वनिधि योजना के बाद प्रतिदिन ₹325 से बढ़कर लगभग ₹515 हो गई। वहीं पोर्ट ब्लेयर की विजयाजी की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने महामारी के कारण अपने पति को खो दिया था और जीवन चलाना बहुत मुश्किल हो गया था। जैसे ही उन्हें पीएम स्वनिधि योजना की जानकारी मिली, उन्होंने 10,000 रुपये का लोन लिया। इस रकम से उन्होंने दुकान और घर का राशन खरीदा, दुकान के लिए गैस सिलिंडर लिया और घर का किराया चुकाया। थोड़े ही समय में उनका व्यवसाय फिर से चलने लगा, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गईं।
इसी तरह महाराष्ट्र के वर्धा जिले की निलेश, जो ट्रांसजेंडर हैं, ने भी पीएम स्वनिधि योजना से 10,000 रुपये का लोन लेकर न केवल अपना कैटरिंग बिजनेस शुरू किया, बल्कि समाज के अन्य लोगों, विशेषकर महिलाओं और ट्रांसजेंडर को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। इनके अलावा लाखों छोटे व्यापारी, सब्जी विक्रेता, चायवाले, फल वाले, कपड़े विक्रेता आदि इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
सरकार समय-समय पर स्कीम के प्रचार-प्रसार और प्रक्रिया सरलीकरण के लिए जागरूकता अभियान भी चलाती है, जिससे अधिक से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स तक योजना की जानकारी पहुँच सके और वे इसका लाभ उठा सकें। ऋण आवेदन की प्रक्रिया को सरल बनाकर और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देकर वित्तीय समावेशन का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है।
FAQs (Frequently Asked Questions) – पीएम स्वनिधि योजना
- Q1: पीएम स्वनिधि योजना क्या है?
A1: पीएम स्वनिधि योजना एक सरकारी माइक्रो-क्रेडिट स्कीम है, जिसके अंतर्गत रेहड़ी-पटरी वालों को बिना गारंटी वर्किंग कैपिटल लोन (₹10,000, ₹20,000, ₹50,000 तक) सुलभ कराया जाता है। - Q2: पीएम स्वनिधि योजना के लिए कौन पात्र है?
A2: वे सभी शहरी/अर्ध-शहरी क्षेत्रों के रेहड़ी-पटरी वाले, जो 24 मार्च 2020 या उससे पहले सड़कों पर व्यापार कर रहे थे, इस योजना के पात्र हैं। - Q3: पीएम स्वनिधि योजना में ब्याज सब्सिडी और डिजिटल कैशबैक की सुविधा कैसे मिलती है?
A3: समय पर ऋण चुकाने और डिजिटल माध्यम से लेन-देन करने वाले वेंडर्स को 7% तक ब्याज सब्सिडी एवं डिजिटल ट्रांजेक्शन पर कैशबैक मिलता है। - Q4: पीएम स्वनिधि योजना से क्या लाभ होता है?
A4: इससे स्ट्रीट वेंडर्स को सस्ती कार्यशील पूंजी, डिजिटल इनक्लूजन, आय बढ़ोतरी, बिजनेस विस्तार, और वित्तीय सुरक्षा मिलती है। - Q5: पीएम स्वनिधि योजना में आवेदन कैसे करें?
A5: इस योजना के लिए ऑनलाइन पोर्टल, मोबाइल एप, नगर निगम कार्यालय या बैंकों के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। दस्तावेज़ों के साथ रजिस्ट्रेशन करना बेहद सरल प्रक्रिया है।