ग्लोबल मार्केट गिरावट,

ग्लोबल मार्केट गिरी, सोना रिकॉर्ड पर — बैंक संकट बढ़ा डर 📉

अमेरिकी क्षेत्रीय बैंकों में क्रेडिट संकट की आशंकाओं ने दुनियाभर के बाजारों में भूचाल ला दिया है। शुक्रवार को दुनिया के प्रमुख शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई, जबकि सुरक्षित निवेश की तलाश में निवेशकों ने सोने में जमकर खरीदारी की। सोने की कीमतें सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 4379 डॉलर प्रति औंस के ऐतिहासिक स्तर को छू गईं, जो इस साल अब तक की सबसे बड़ी साप्ताहिक तेजी है।

संकट की शुरुआत तब हुई जब अमेरिका के दो क्षेत्रीय बैंकों ने बुधवार और गुरुवार को बड़े पैमाने पर खराब कर्जों का खुलासा किया। यूटा स्थित Zions Bancorporation ने अपनी कैलिफोर्निया शाखा के दो कर्जदारों से जुड़े 60 मिलियन डॉलर के प्रावधान और 50 मिलियन डॉलर की राइट-ऑफ की घोषणा की। बैंक ने आरोप लगाया कि उधारकर्ताओं ने धोखाधड़ी की और गलत जानकारी दी। इसके साथ ही एरिजोना के Western Alliance Bancorporation ने भी एक उधारकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप है कि उसने पर्याप्त कोलैटरल नहीं दिया।

इन घटनाओं ने निवेशकों में 2023 के Silicon Valley Bank संकट की यादें ताजा कर दीं। गुरुवार को अमेरिकी बैंकिंग शेयरों में भयानक गिरावट आई। Zions के शेयर 13 फीसदी और Western Alliance के 10 फीसदी से ज्यादा गिरे। लोकप्रिय S&P Regional Banking ETF में 6.2 फीसदी की गिरावट देखी गई, जो अप्रैल के बाद से सबसे खराब दिन था। बड़े बैंक भी इस तूफान से बच नहीं सके। JPMorgan, Citi और Bank of America के शेयरों में प्री-मार्केट ट्रेडिंग में 1.5 से 2.9 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।

यूरोपीय बाजारों में भी दहशत फैल गई। शुक्रवार को लंदन का FTSE 100, पेरिस का CAC और फ्रैंकफर्ट का DAX सभी एक फीसदी से ज्यादा गिरे। यूरोपीय Stoxx Banking Index में लगभग 3 फीसदी की गिरावट आई। स्पेन के Sabadell Bank के शेयर 8.9 फीसदी, जर्मनी के Deutsche Bank 6.9 फीसदी और ब्रिटेन के Barclays 5.4 फीसदी तक लुढ़क गए।

एशियाई बाजारों ने भी बुरा प्रदर्शन किया। हांगकांग का शेयर बाजार 2.5 फीसदी और शंघाई 2 फीसदी गिरा। जापान की Nikkei और ताइवान के बाजारों में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बैंकिंग शेयर भी दबाव में आए। जापान के Mizuho Financial Group के शेयर 4 फीसदी गिरे, जबकि हांगकांग में HSBC 2 फीसदी नीचे रहा।

इस संकट के पीछे की असली चिंता यह है कि क्या ये घटनाएं बड़े क्रेडिट मार्केट संकट का संकेत हैं। सितंबर में ही ऑटो पार्ट्स निर्माता First Brands और सबप्राइम ऑटो लेंडर Tricolor दोनों दिवालिया हो चुके हैं। First Brands पर 10 अरब डॉलर से ज्यादा की देनदारी थी और एक लेनदार ने दावा किया कि 2.3 अरब डॉलर “गायब” हो गए। JPMorgan के CEO Jamie Dimon ने निवेशकों को चेतावनी देते हुए कहा, “जब आप एक कॉकरोच देखते हैं, तो संभवतः और भी हैं। सभी को इस बारे में सचेत रहना चाहिए।”

बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि लंबे समय तक ऊंची ब्याज दरों और प्राइवेट क्रेडिट सेक्टर में ढीली उधारी प्रथाओं ने यह स्थिति पैदा की है। पिछले कुछ वर्षों से क्रेडिट मार्केट में तेजी देखी गई थी, लेकिन अब इसमें कमजोरी के संकेत दिख रहे हैं। ING के विश्लेषकों ने नोट किया कि यह “कंटेजन” बता रहा है कि अमेरिकी व्यापारिक माहौल और क्रेडिट क्वालिटी डेटा से दिखने वाली स्थिति से कहीं खराब हो सकती है।

इस अनिश्चितता के बीच बाजार का भय सूचकांक VIX भी तेजी से बढ़ा। गुरुवार को VIX 25 के स्तर को पार कर गया, जो अप्रैल के बाद से सबसे ऊंचा स्तर था। कुछ रिपोर्ट्स में यह 27 के करीब भी पहुंच गया, जो बाजार में गहरी घबराहट का संकेत है।

निवेशकों ने सुरक्षित ठिकानों की तलाश शुरू कर दी। अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की मांग बढ़ने से 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 4 फीसदी से नीचे आ गई। लेकिन सबसे ज्यादा चमक सोने में देखी गई। शुक्रवार को स्पॉट गोल्ड 0.7 फीसदी बढ़कर 4357 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया, जबकि गोल्ड फ्यूचर्स 0.8 फीसदी की तेजी के साथ 4337 डॉलर पर कारोबार कर रहे थे।

सोने की कीमतों में यह तेजी केवल बैंकिंग संकट की वजह से नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की आशंकाएं, अमेरिकी सरकार शटडाउन की संभावना और Federal Reserve द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों ने भी सोने को मजबूती दी है। इस हफ्ते सोने में लगभग 8 फीसदी की तेजी रही, जो मार्च 2020 के बाद से सबसे मजबूत साप्ताहिक प्रदर्शन है। साल भर में देखें तो सोने की कीमतें 58 से 65 फीसदी तक बढ़ी हैं, जो 45 सालों में सबसे बड़ी सालाना तेजी है।

भारत में भी सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा गया। 17 अक्टूबर को 24 कैरेट सोना 1,26,680 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को छू गया, जबकि 100 ग्राम सोने की कीमत 12,86,800 रुपये तक पहुंच गई। दिवाली के त्योहारी सीजन में भी रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के बावजूद सोने की मांग मजबूत बनी हुई है। भारत ने 2025 की तीसरी तिमाही तक लगभग 300 टन सोने का आयात किया है।

केंद्रीय बैंकों द्वारा भी सोने की भारी खरीदारी जारी है। 2023 के बाद से दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने 3500 टन से ज्यादा सोना खरीदा है, जिसमें चीन, भारत और तुर्की प्रमुख खरीदार रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक अस्थायी तेजी नहीं है। Motilal Oswal Financial Services के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि सोना लंबी अवधि में 4500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है।

बाजार विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले हफ्तों में क्षेत्रीय बैंकों की तिमाही आय रिपोर्ट्स पर बारीकी से नजर रखी जाएगी। इससे पता चलेगा कि क्रेडिट समस्याएं कुछ खास बैंकों तक सीमित हैं या फिर यह एक व्यापक संकट का संकेत है। Goldman Sachs के विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक तीन मुख्य सवालों के जवाब चाह रहे हैं – कैसे ये कर्ज मंजूर हुए, डेढ़ महीने में तीन धोखाधड़ी के मामले क्यों सामने आए, और क्या छोटे बैंकों ने कर्ज बढ़ाने के लिए मानकों में ढील दी।

अभी स्थिति यह है कि निवेशक अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं। किसी भी और खराब खबर से बाजारों में और गिरावट आ सकती है। दूसरी ओर, अगर स्थिति नियंत्रण में रहती है और आगे कोई बड़ी समस्या नहीं आती, तो बाजार धीरे-धीरे स्थिर हो सकते हैं। लेकिन फिलहाल तो सोना ही सबसे सुरक्षित दांव लग रहा है, जो ग्लोबल मार्केट गिरावट के बीच निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है।

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