असद के बाद सीरिया का पहला चुनाव

असद के बाद सीरिया का पहला चुनाव: उम्मीदें, डर और सियासी सच्चाई

असद के बाद सीरिया का पहला चुनाव जो अक्टूबर 2025 में हुआ है, सीरियाई राजनीति में एक नया मोड़ है। बशर अल असद के हटने के बाद देश में पहली बार संसदीय चुनाव आयोजित किए गए, लेकिन इस प्रक्रिया ने कई सवाल खड़े किए हैं। नए राष्ट्रपति अहमद अल शरा की अंतरिम सरकार द्वारा आयोजित यह चुनाव पूरी तरह लोकतांत्रिक नहीं है क्योंकि 210 सदस्यीय पीपल्स असेंबली में से केवल 140 सीटों के लिए चुनाव हुआ, जबकि 70 सीटें सीधे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त की गईं।

इस चुनावी प्रक्रिया में सबसे विवादास्पद पहलू रक्का हसाका चुनाव और अन्य कुर्द बहुल क्षेत्रों का बहिष्कार है। ⚠️ सीरियाई चुनाव आयोग ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए रक्का, हसाका और सुवेदा प्रांतों में चुनाव स्थगित कर दिए। हालांकि बाद में रक्का के मादान और हसाका के कुछ हिस्सों में सीमित चुनाव कराने की कोशिश की गई, लेकिन कुर्द बहुल क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा इस प्रक्रिया से बाहर रहा।

कुर्द क्षेत्र बहिष्कार का मुख्य कारण डेमोक्रेटिक ऑटोनॉमस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ नॉर्थ एंड ईस्ट सीरिया (एएनईएस) का विरोध है। कुर्द नेतृत्व वाले इस संगठन ने चुनावी प्रक्रिया को “अलोकतांत्रिक और बहिष्करणवादी” बताया है। एएनईएस का तर्क है कि यह चुनाव 50 लाख से अधिक सीरियाइयों को हाशिए पर धकेलने का प्रयास है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इन चुनावों को मान्यता न देने की अपील की है।

सीरियाई अंतरिम सरकार के प्रवक्ता नवार नजमेह ने इस बहिष्कार के लिए कुर्द प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि चुनाव एक संप्रभु मामला है जो केवल सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में ही हो सकता है। दमिश्क सरकार का आरोप है कि कुर्द प्रशासन चुनाव आयोग के अधिकारियों को इन क्षेत्रों में आने से रोक रहा है।

इस स्थिति का एक वास्तविक उदाहरण मार्च 2025 का समझौता है जो दमिश्क और सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) के बीच हुआ था। इस समझौते में कुर्द संस्थानों को केंद्रीय सरकार में एकीकृत करने की बात कही गई थी, लेकिन इसका कार्यान्वयन रुक गया है। कानूनी विशेषज्ञ अहमद अल-कुराबी के अनुसार, चुनाव स्थगन का मुख्य कारण इसी समझौते का फेल होना है। दमिश्क एसडीएफ को कोई राजनीतिक रियायत देने को तैयार नहीं है, जबकि एसडीएफ बिना शर्त सरकार को मानने से इनकार कर रहा है।

यह चुनावी संकट केवल राजनीतिक नहीं बल्कि भौगोलिक भी है। 🗺️ सीरिया का उत्तरपूर्वी हिस्सा जो कुर्दों के नियंत्रण में है, देश के एक तिहाई क्षेत्र को कवर करता है। यहां अरब, कुर्द, सीरियाक, असीरियाई, तुर्कमेन, अर्मेनियाई, चेचन और यजीदी समुदाय रहते हैं। इन क्षेत्रों को चुनाव से बाहर रखना न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है बल्कि देश की एकता के लिए भी खतरा है।

तुर्की का दबाव भी इस स्थिति को जटिल बना रहा है। अंकारा ने कुर्द क्षेत्रों में किसी भी चुनावी गतिविधि का विरोध किया है और सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है। तुर्की कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से एसडीएफ के संबंध को लेकर चिंतित है और इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।

दूसरी तरफ, सुवेदा प्रांत में ड्रूज़ समुदाय के साथ हिंसक संघर्ष के कारण चुनाव रद्द करना पड़ा। 💥 जुलाई 2025 में यहां सैकड़ों लोग मारे गए जब ड्रूज़ लड़ाकों और सुन्नी बेदुइन जनजातियों के बीच झड़पें हुईं। इजराइल ने भी हवाई हमले करके ड्रूज़ समुदाय की रक्षा का दावा किया।

अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। वाशिंगटन एसडीएफ का सहयोगी है और इस क्षेत्र में मानवीय परियोजनाओं का बड़ा दाता है। अमेरिकी स्थिति चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

यह चुनावी विवाद सीरिया के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति शरा ने वादा किया है कि नया संविधान बनाने और पूर्ण चुनाव कराने में चार से पांच साल का समय लग सकता है। लेकिन जब तक देश के बड़े हिस्से चुनावी प्रक्रिया से बाहर रहेंगे, तब तक वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना संदिग्ध रहेगी।

असद के बाद सीरिया का पहला चुनाव भले ही एक ऐतिहासिक कदम हो, लेकिन यह देश की एकता और समावेशी शासन के लिए चुनौती भी है। रक्का, हसाका और अन्य कुर्द क्षेत्रों का बहिष्कार दिखाता है कि सीरिया में अभी भी एक लंबा राजनीतिक संघर्ष बाकी है।

पूछे जाने वाले सवाल

असद के बाद सीरिया का पहला संसदीय चुनाव 5 अक्टूबर 2025 को हुआ, जो बशर अल असद के दिसंबर 2024 में सत्ता से हटने के बाद का पहला चुनाव था।

रक्का और हसाका में सुरक्षा चिंताओं के कारण चुनाव स्थगित किया गया क्योंकि ये क्षेत्र कुर्द-नियंत्रित एएनईएस के अधीन हैं और केंद्रीय सरकार का पूर्ण नियंत्रण नहीं है।

कुर्द क्षेत्र के बहिष्कार का मुख्य कारण एएनईएस द्वारा चुनावी प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक और बहिष्करणवादी बताना है, जिसमें 50 लाख से अधिक सीरियाइयों को हाशिए पर धकेला जा रहा है।

सीरियाई अंतरिम सरकार राष्ट्रपति अहमद अल शरा के नेतृत्व में चल रही है, जो जनवरी 2025 में सत्ता में आए और पांच साल के संक्रमणकाल की घोषणा की है।

असद हटने के बाद सीरिया में 60 साल के बाथ पार्टी शासन का अंत हुआ है, नई अंतरिम सरकार बनी है, और पहली बार संसदीय चुनाव हुआ है, लेकिन देश अभी भी विभाजित है।

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