टॉमहॉक मिसाइल की रेंज कितनी है

टॉमहॉक मिसाइल की असली रेंज: युद्ध के समीकरण को बदलने वाली शक्ति 🚀

टॉमहॉक मिसाइल की रेंज आज वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है, खासकर जब अमेरिका यूक्रेन को यह शक्तिशाली हथियार देने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में इस्तेमाल होने वाले टॉमहॉक मिसाइल के संस्करणों की रेंज लगभग 1600 किलोमीटर है। यह एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है, जिसे जहाजों और पनडुब्बियों से दागा जा सकता है। यह दुश्मन की मजबूत रक्षा प्रणालियों को चकमा देकर सटीक निशाना साध सकती है।

टॉमहॉक मिसाइल का परिचय

टॉमहॉक एक अमेरिकी निर्मित सबसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे 1970 के दशक में विकसित किया गया। इसकी लंबाई 5.6 मीटर (18.4 फीट) और वजन लगभग 1315 किलोग्राम है। यह मिसाइल 885 किलोमीटर प्रति घंटे (550 मील प्रति घंटे) की रफ्तार से उड़ती है। इसकी खासियत कम ऊंचाई पर उड़ान है, जो इसे दुश्मन के रडार से बचाने में मदद करती है।

टॉमहॉक मिसाइल के संस्करण और उनकी रेंज

टॉमहॉक मिसाइल की मारक दूरी इसके विभिन्न संस्करणों पर निर्भर करती है। शुरुआती परमाणु हथियार ले जाने वाले TLAM-N और Block II TLAM-A की रेंज 2500 किलोमीटर थी, क्योंकि परमाणु वारहेड का वजन केवल 130 किलोग्राम था। हल्के वारहेड के कारण अधिक ईंधन भरा जा सकता था, जिससे रेंज बढ़ी। हालांकि, 2010 तक सभी परमाणु टॉमहॉक मिसाइलों को सेवा से हटा लिया गया।

1993 में आए Block III संस्करण में GPS नेविगेशन सिस्टम जोड़ा गया, जिसकी रेंज 1700 किलोमीटर थी। 2006 में Block IV (Tactical Tomahawk) की रेंज 1600 किलोमीटर थी, लेकिन इसमें उड़ान के दौरान निशाना बदलने की क्षमता थी। इसमें दो-तरफा सैटेलाइट डेटा लिंक था, जो मिसाइल को नए निर्देश देने में सक्षम था।

2021 में आए Block V संस्करण की रेंज भी 1600 किलोमीटर है। Block Vb में बेहतर मल्टी-इफेक्ट वारहेड है, जो विभिन्न लक्ष्यों को भेद सकता है। Block Va एक एंटी-शिप संस्करण है, जिसकी रेंज 500 से 700 किलोमीटर है।

टॉमहॉक की विशेषताएं

टॉमहॉक मिसाइल की रेंज इसे रणनीतिक हथियार बनाती है। यह 450 किलोग्राम (1000 पाउंड) के पारंपरिक वारहेड के साथ दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला कर सकती है। यह केवल 30 से 90 मीटर की ऊंचाई पर उड़ती है और रडार को चकमा देने के लिए लड़ाकू विमान की तरह मुड़ सकती है। यह Terrain Contour Matching (TERCOM) तकनीक के जरिए जमीन के नक्शे से मिलान कर रास्ता खोजती है।

इसकी सटीकता इसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह 1600 किलोमीटर दूर से गैरेज के आकार के लक्ष्य को 5 मीटर की सटीकता के साथ भेद सकती है। इसमें GPS, इनर्शियल नेविगेशन, TERCOM, और Digital Scene Matching Area Correlation (DSMAC) जैसी आधुनिक तकनीकें हैं। DSMAC पहले से स्टोर की गई तस्वीरों से दृश्य की तुलना कर सटीक निशाना लगाता है।

लॉन्च और तकनीक

टॉमहॉक मिसाइल को जहाजों से लंबवत या पनडुब्बियों की टारपीडो ट्यूबों से क्षैतिज रूप से दागा जा सकता है। यह ठोस ईंधन से शुरू होती है और फिर टर्बोफैन इंजन काम करता है, जो कम गर्मी छोड़ता है, जिससे इन्फ्रारेड सेंसर इसे पकड़ नहीं पाते। इसका छोटा आकार और कम ऊंचाई इसे रडार से बचाने में मदद करता है।

युद्ध में उपयोग

अमेरिका ने टॉमहॉक का पहला उपयोग 1991 के खाड़ी युद्ध में किया, जब ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म में 297 मिसाइलें दागी गईं। इसके बाद 1998 में अफगानिस्तान और सूडान, 2003 में इराक, 2011 में लीबिया, और 2017 में सीरिया में इसका इस्तेमाल हुआ। 2024 में अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती विद्रोहियों और ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए।

अमेरिकी नौसेना इसका मुख्य उपयोगकर्ता है, लेकिन ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, और नीदरलैंड भी इसका उपयोग करते हैं। जापान ने 400 टॉमहॉक मिसाइलें खरीदी हैं। एक मिसाइल की कीमत लगभग 1.3 मिलियन डॉलर (11 करोड़ रुपये) है, और इसका निर्माण रेथियॉन मिसाइल सिस्टम्स करती है।

यूक्रेन के लिए रणनीतिक महत्व

टॉमहॉक मिसाइल की रेंज इसे एक गेम-चेंजर बनाती है। अगर यूक्रेन को यह मिसाइल मिलती है, तो वह रूस के सैन्य लक्ष्यों, जैसे कारखाने, हथियार डिपो, हवाई अड्डे, और कमांड सेंटर, पर 1600 किलोमीटर तक हमला कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, 1000 से 4000 रूसी सैन्य लक्ष्य इसकी रेंज में आ सकते हैं।

यह रूस की S-400 और पैंटसिर जैसी वायु रक्षा प्रणालियों के लिए चुनौती है। 2017 और 2018 में सीरिया में रूसी रक्षा प्रणालियां इसे रोक नहीं पाईं। कई मिसाइलें एक साथ दागे जाने पर दुश्मन की रक्षा प्रणाली पर दबाव बढ़ता है, जिससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

टॉमहॉक की तकनीकी श्रेष्ठता

टॉमहॉक की कम ऊंचाई और TERCOM तकनीक इसे पहाड़ों, घाटियों, और इमारतों के बीच से गुजरने की क्षमता देती है। रडार इसे देर से पकड़ता है, जिससे दुश्मन के पास केवल कुछ सेकंड रहते हैं, और इसे रोकना लगभग असंभव हो जाता है।

2019 में INF संधि से हटने के बाद, अमेरिका ने जमीन से दागे जाने वाले टाइफन सिस्टम को विकसित किया, जिसमें चार सेल वाले लॉन्चर हैं। प्रत्येक लॉन्चर से चार टॉमहॉक दागे जा सकते हैं। 2025 तक दो बैटरियां प्रशांत क्षेत्र में तैनात की गई हैं।

यूक्रेन के लिए संभावनाएं

यूक्रेन के पास वर्तमान में ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो और अमेरिकी ATACMS मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 240 से 320 किलोमीटर है। टॉमहॉक की रेंज से यूक्रेन की हमलावर क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। हालांकि, यूक्रेन को जमीन से दागे जाने वाले लॉन्चर की जरूरत होगी, क्योंकि उसके पास जहाज या पनडुब्बियां नहीं हैं।

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