1947 में 1 डॉलर कितना था — भारत की आर्थिक यात्रा की अनकही कहानी
जब देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तब 1 USD to INR in 1947 की दर केवल 3.30 रुपये थी। आज यह दर 87 रुपये से भी ज्यादा है, यानी पिछले 78 सालों में रुपये की कीमत में जबरदस्त गिरावट आई है। यह बदलाव सिर्फ मुद्रा का उतार-चढ़ाव नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक घटनाओं से जुड़ी एक लंबी कहानी है। 📜
जब भारत ने आजादी हासिल की, तब देश की अर्थव्यवस्था ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से उबर रही थी और नई मुद्रा प्रणाली को अपना रही थी। उस समय भारतीय रुपया ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग से जुड़ा हुआ था, जिसकी वजह से इसकी कीमत 1 पाउंड बराबर 13.33 रुपये थी। अमेरिकी डॉलर से रुपये का रिश्ता ब्रेटन वुड्स समझौते के जरिए तय हुआ था, जो 1944 में 44 देशों के बीच हुआ था और जिसने डॉलर को सोने से जोड़ दिया था। 🌍
यह कहना गलत होगा कि 1947 में 1 रुपया बराबर 1 डॉलर था। सच्चाई यह है कि 1947 में 1 डॉलर 3.30 रुपये का था। यह दर सरकारी तौर पर तय की गई थी और बाजार की ताकतों के बजाय अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली पर आधारित थी। ❌
1949 से 1966 तक रुपया 4.76 प्रति डॉलर की दर पर स्थिर रहा। लेकिन भारत को लगातार व्यापार घाटा और विदेशी मदद पर निर्भरता झेलनी पड़ रही थी। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और फिर 1965-66 में भीषण सूखे ने देश की अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख दिया। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया और महंगाई बेकाबू हो गई। ⚔️🌾
6 जून 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बड़ा और विवादास्पद फैसला लिया और रुपये को 57 फीसदी अवमूल्यित कर दिया। इसके बाद अब 1 डॉलर बराबर 7.50 रुपये हो गया। यह कदम विश्व बैंक और अमेरिका के दबाव में लिया गया था और भारत में इसे राष्ट्रीय अपमान माना गया। 💸
1991 में भारत फिर से एक बड़े आर्थिक संकट से गुजरा। विदेशी कर्ज बढ़ गया और विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया कि देश सिर्फ तीन हफ्ते के आयात का खर्च उठा सकता था। सरकार ने 1 और 3 जुलाई 1991 को दो बार रुपये को अवमूल्यित किया और इसके बाद आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। तब रुपया 17 से बढ़कर करीब 26 रुपये प्रति डॉलर हो गया। 🔄
उसके बाद से रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आई है। 1947 में डॉलर-रुपये के बीच जो संबंध था, वह अब पूरी तरह बदल चुका है। 2000 में यह दर 44 रुपये थी, 2010 में 46 रुपये, 2020 में 74 रुपये और अब अक्टूबर 2025 में यह 87 से 88 रुपये के बीच घूम रहा है। 📊
रुपये के मूल्य में गिरावट के कई कारण हैं। भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि आयात निर्यात से कहीं ज्यादा है, खासकर तेल और सोने का आयात। भारत में महंगाई दर अमेरिका से ज्यादा रही है, जिससे रुपये की खरीद क्षमता कम हुई है। विदेशी निवेशकों द्वारा पैसा वापस निकालना, अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी और वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ना भी रुपये को कमजोर करते हैं। ⛽
आज 1947 की दर और वर्तमान दर में जमीन-आसमान का फर्क है। यह बदलाव भारत की आर्थिक नीतियों, वैश्विक घटनाओं और संरचनात्मक कमजोरियों को दर्शाता है। हालांकि भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन मुद्रा की स्थिरता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। 🇮🇳
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) ❓1947 में 1 डॉलर कितने रुपये का था? 1947 में भारत की आजादी के समय 1 अमेरिकी डॉलर 3.30 रुपये के बराबर था।1947 में 1 रुपया बराबर 1 डॉलर था, क्या यह सच है? नहीं, यह सच नहीं है। 1947 में 1 डॉलर 3.30 रुपये का था, ना कि 1 रुपया बराबर 1 डॉलर।1966 में रुपये को क्यों अवमूल्यित किया गया था? 1966 में 1965 के भारत-पाक युद्ध और गंभीर सूखे की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया और महंगाई बढ़ गई, जिससे सरकार को रुपये को 57% अवमूल्यित करना पड़ा।1991 में भारतीय रुपये के साथ क्या हुआ था? 1991 में गंभीर आर्थिक संकट के कारण भारत सरकार ने रुपये को दो बार अवमूल्यित किया और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।अक्टूबर 2025 में 1 डॉलर कितने रुपये का है? अक्टूबर 2025 में 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 87 से 88 रुपये के बीच है।