India Post नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन-आधारित मेल डिलीवरी शुरू करने की तैयारी
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में India Post की ड्रोन डाक सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। नक्सल प्रभावित दुर्गम इलाकों में डाक पहुंचाने की चुनौती से निपटने के लिए यह अत्याधुनिक समाधान लाया जा रहा है। अक्टूबर 2025 में इसकी तैयारी पूरी हो गई है और भामरागढ़, वैरागढ़ और सिरोंचा तहसीलों के 27 गांवों में इस ड्रोन मेल भारत सेवा का ट्रायल किया जाएगा।
भारतीय डाक विभाग के इस क्रांतिकारी कदम का मुख्य उद्देश्य है remote मेल डिलीवरी की समस्या का स्थायी समाधान करना। गढ़चिरौली जैसे जिलों में घने जंगल, बहती नदियां और खतरनाक रास्ते हमेशा से डाक कर्मचारियों के लिए चुनौती बने रहे हैं। इन इलाकों में बारिश के मौसम में सड़कें बह जाती हैं और कई हफ्तों तक गांव बाहरी दुनिया से कट जाते हैं। चंद्रपुर डाकघर मंडल के वरिष्ठ अधीक्षक एस. राम कृष्ण के अनुसार, आदिवासी बहुल इन गांवों में वर्षा काल में संपर्क पूरी तरह टूट जाता है।
पारंपरिक रूप से इन क्षेत्रों में डाक पहुंचाने में कम से कम दो दिन का समय लगता था, जिसे डाक विभाग की भाषा में D+2 डिलीवरी कहते हैं। लेकिन नक्सल डाक सेवा के तहत ड्रोन के जरिए D+0 यानी उसी दिन डिलीवरी संभव हो सकेगी। यह सेवा पहले माथेरान हिल स्टेशन में सफलतापूर्वक चलाई जा चुकी है, जहां कर्जत से माथेरान तक 9 किलोग्राम वजन का पार्सल केवल 20 मिनट में पहुंचाया गया।
डाक विभाग के अधिकारी ललित बोरकर के मुताबिक, terrain & flood मेल की समस्या से निपटने के लिए यह ड्रोन सेवा एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रत्येक ड्रोन 5 से 7 किलोग्राम तक का डाक भार ले जा सकता है और GPS नेवीगेशन तथा रीयल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है। इससे न केवल आवश्यक दस्तावेज बल्कि मेडिकल किट, दवाइयां और समाचार पत्र भी सुरक्षित रूप से पहुंचाए जा सकेंगे।
इस पहल के पीछे की सफलता कहानी बहुत प्रेरणादायक है। पहले गुजरात के कच्छ जिले में 2022 में ड्रोन डिलीवरी का सफल ट्रायल किया गया था, जहां 46 किलोमीटर की दूरी 30 मिनट से भी कम समय में तय की गई। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में चौखम डाकघर से वाकरो ब्रांच डाकघर के बीच ड्रोन सेवा शुरू की गई, जिसमें 45 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 22-24 मिनट में पूरी हुई।
वैश्विक स्तर पर देखें तो ड्रोन डिलीवरी सेवा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत में इस तकनीक का उपयोग केवल डाक सेवा तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि हेल्थकेयर सेक्टर में जीवनरक्षक दवाइयों की आपातकालीन डिलीवरी में भी इसका व्यापक उपयोग हो सकता है। स्काई एयर मोबिलिटी जैसी कंपनियों के अनुभव के अनुसार, ड्रोन डिलीवरी से समय 80% तक कम हो सकता है और प्रति डिलीवरी लागत भी 30-40 रुपये तक आ सकती है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से भी यह कदम महत्वपूर्ण है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्ण सफाया हो जाए। पिछले कुछ वर्षों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर केवल 18 रह गई है। इन इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास और संचार व्यवस्था का सुधार सरकार की प्राथमिकता रही है।
भारतीय डाक विभाग का यह नवाचार केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक नहीं है बल्कि सामाजिक न्याय और समानता का भी प्रतिनिधित्व करता है। दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने में डाक सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 5000 से अधिक मोबाइल टावर, 850 स्कूल और 186 स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।
डाक विभाग की यह पहल भारत के डिजिटल इंडिया मिशन का भी हिस्सा है। नागपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से इस प्रस्ताव की मंजूरी का इंतजार है। सफल होने पर इस सेवा का विस्तार छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में भी किया जाएगा।
तकनीकी चुनौतियों के बावजूद यह पहल भारत के दूरदराज के इलाकों में डिजिटल क्रांति लाने का प्रतीक है। ड्रोन तकनीक से न केवल समय और लागत की बचत होगी बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे कार्बन एमिशन कम होगा। भविष्य में India Post की ड्रोन डाक सेवा का विस्तार अन्य राज्यों के remote मेल डिलीवरी क्षेत्रों में भी हो सकता है, जिससे पूरे देश में एक व्यापक ड्रोन नेटवर्क तैयार होगा।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
India Post की ड्रोन डिलीवरी सेवा कहां शुरू हो रही है?
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के भामरागढ़, वैरागढ़ और सिरोंचा तहसीलों के 27 गांवों में इस सेवा का ट्रायल किया जाएगा।
ड्रोन से कितना डाक भार पहुंचाया जा सकता है?
प्रत्येक ड्रोन 5 से 7 किलोग्राम तक का डाक भार सुरक्षित रूप से पहुंचा सकता है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में पारंपरिक डाक सेवा में कितना समय लगता था?
सामान्यतः इन इलाकों में डाक पहुंचने में दो दिन (D+2) का समय लगता था, लेकिन ड्रोन से यह उसी दिन (D+0) संभव होगा।
terrain & flood मेल की समस्या कैसे हल होगी?
घने जंगल, बहती नदियां और बाढ़ की चुनौतियों से निपटने के लिए ड्रोन हवाई मार्ग से डाक पहुंचाएगा, जिससे भौगोलिक बाधाओं का प्रभाव कम होगा।
क्या India Post ड्रोन डिलीवरी का विस्तार अन्य राज्यों में भी होगा?
गढ़चिरौली में सफल होने पर इस remote मेल डिलीवरी सेवा का विस्तार छत्तीसगढ़, झारखंड और अन्य दुर्गम इलाकों में किया जाएगा।
