एंकोरेज गैस संकट: अलास्का की ऊर्जा स्थिति में मंडराता खतरा 🌨️
अलास्का की अपार तेल और गैस संपत्ति के बावजूद एंकोरेज गंभीर गैस संकट का सामना कर रहा है। 2027 तक आपूर्ति की कमी पैदा हो सकती है, जिससे हीटिंग, बिजली और बिज़नेस निरंतरता दक्षिण-मध्य अलास्का में खतरे में पड़ सकती है। यह विरोधाभास कुक इनलेट के उत्पादन में गिरावट, ड्रिलिंग में ठहराव और नॉर्थ स्लोप गैस को एंकोरेज तक लाने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी से उपजा है। परिणामस्वरूप संसाधन-समृद्ध राज्य में स्थानीय आपूर्ति संकट गहराता जा रहा है।
कमी की असली वजह क्या है? 🚨
एंकोरेज और रेलबेल्ट क्षेत्र अपनी लगभग 70% बिजली और बड़ी हीटिंग ज़रूरतों के लिए कुक इनलेट प्राकृतिक गैस पर निर्भर हैं। लेकिन उत्पादन पुराने क्षेत्रों के कमजोर होने और नई खोज की धीमी गति से घट रहा है। 2022 में, कुक इनलेट के प्रमुख उत्पादक ने चेतावनी दी कि वह 2027 के बाद गैस आपूर्ति की गारंटी नहीं दे सकता। वहीं नॉर्थ स्लोप पर गैस तो मौजूद है लेकिन उसे एंकोरेज तक पहुंचाने के लिए कोई पाइपलाइन नहीं है, जिससे शहर के लिए यह गैस निकट भविष्य में बेकार साबित हो रही है।
आपूर्ति और मांग का संतुलन कितना तंग है? 📉
विशेषज्ञों का अनुमान है कि दक्षिण-मध्य अलास्का को हर साल लगभग 70 बिलियन क्यूबिक फीट (Bcf) गैस की ज़रूरत है। लेकिन कुक इनलेट उत्पादन लगातार गिर रहा है। रिपोर्ट बताती है कि 2027 तक यह अंतर और चौड़ा हो जाएगा। स्थानीय एजेंसियां और यूटिलिटी कंपनियां पहले से ही कंटिजेंसी योजनाएं बना रही हैं – जिनमें मांग घटाना, ज़रूरत पड़ने पर बिजली कटौती और वैकल्पिक ऊर्जा प्रोजेक्ट शामिल हैं।
रेलबेल्ट गैस की अनुमानित मांग बनाम स्थानीय आपूर्ति 📊
| साल | मांग (Bcf) | स्थानीय आपूर्ति (Bcf) |
|---|---|---|
| 2024 | 70 | 70 |
| 2025 | 70 | 68 |
| 2026 | 70 | 66 |
| 2027 | 70 | 60 |
| 2028 | 71 | 58 |
| 2029 | 71 | 55 |
| 2030 | 72 | 53 |
ये अनुमान दर्शाते हैं कि 2027 से अलास्का ऊर्जा संकट की स्थिति और गंभीर हो जाएगी [NREL]।
अलास्का की संपत्ति क्यों नहीं है पर्याप्त? 🛢️
ट्रांस-अलास्का पाइपलाइन सिर्फ तेल ले जाती है, गैस नहीं। नॉर्थ स्लोप से एंकोरेज तक कोई गैसलाइन नहीं है। इसका मतलब है कि स्थानीय स्तर पर गैस की भरमार होने के बावजूद एंकोरेज इसे उपयोग नहीं कर सकता। पॉलिटिक्स भी इसमें भूमिका निभा रही है क्योंकि नियम गैस फ्लेयरिंग को सीमित करते हैं और कंपनियां तेल उत्पादन बनाए रखने के लिए गैस को दोबारा इंजेक्ट करती हैं।
भारत पर असर 🇮🇳
अलास्का ऊर्जा संकट से वैश्विक LNG बाज़ार प्रभावित हो सकता है। भारत जो पहले से ही आयातित गैस पर निर्भर है, उसे ऊँचे दाम चुकाने पड़ सकते हैं। इसका असर बिजली और घरेलू ईंधन लागत पर भी पड़ सकता है।
जीवन से उदाहरण 🏠
जैसे उत्तर भारत में सर्दियों में अचानक बिजली कटौती हो जाए और हीटर या गीजर काम न करें, वैसा ही हाल एंकोरेज का हो सकता है। ठंड के मौसम में गैस न मिलना लोगों की जिंदगी मुश्किल बना देगा।
